‘अग्निपुत्री’ टैसी थॉमस:

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(MUST READ)वह भारत माता की बेटी हैं, ‘अग्निपुत्री’ टैसी थॉमस। जिस अग्नि पांच की सफलता के गर्व से आज देश का सिर ऊंचा है, उस परियोजना का नेतृत्व थॉमस ने ही किया। वह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में पिछले बीस वर्ष से हैं। इस वक्त वह प्रोग्राम डायरेक्टर के पद पर आसीन हैं।

चार सौ बेहतरीन वैज्ञानिकों के दल का नेतृत्व
अग्नि पांच देश के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना थी। टैसी थॉमस भले ही घर में एक साधारण गृहिणी हों, लेकिन जब देश की बात आती है, तो वह चार सौ बेहतरीन वैज्ञानिकों के दल का नेतृत्व करती हैं। वह मिसाइल प्रोजेक्ट का नेतृत्व करने वाली देश की पहली महिला हैं।

बी.टेक के बाद डीआरडीओ से जुड़ी : केरल के अल्लापुजा की रहने वाली 48 वर्षीया टैसी को राडार और मिसाइस सिस्टम छात्र जीवन से ही लुभाते थे। त्रिचूर इंजीनियरिंग कॉलेज से बी.टेक करने के बाद वह डीआरडीओ से जुड़ गईं। यहां उन्हें ‘मिसाइल मैन’ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम समेत कई प्रतिभावान वैज्ञानिकों के साथ काम करने का मौका मिला।

डॉ. कलाम ने अग्नि परियोजना में जोड़ा : डॉ. कलाम ने ही उन्हें अग्नि परियोजना में जोड़ा। बाद में उन्होंने पुणे स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस टेक्नोलॉजी से गाइडेड मिसाइल्स में एम.टैक भी किया। टैसी थॉमस ने न केवल अग्नि के विभिन्न संस्करणों के विकास में अपना जीवन लगाया, बल्कि एक और महत्वपूर्ण मिसाइल तकनीक आरवीएस यानी री-एंट्री ह्वीकल सिस्टम भी तैयार की। यह तकनीक मिसाइल को अत्यधिक विपरीत मौसमी परिस्थितियों और तीन हजार डिग्री सेंटीग्रेड तक के तापमान में भी सकुशल और सक्रिय बनाए रखती है।

खुद तलाशनी पड़ती है राह : टैसी कहती हैं, ‘कोई भी आपको नहीं बताता कि उसने कैसे तकनीक विकसित की। आपको राह खुद तलाशनी पड़ती है। हमने यही किया है।’ वह अपने काम और घर में जबर्दस्त संतुलन साधती हैं। वह बताती हैं कि मेरा दिन सुबह साढ़े चार बजे शुरू होता है, जब बेटा पढ़ने के लिए जागता है, और आधी रात तक के बाद तक चलता है।

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